महाकुम्भ : संगम में डुबकी लगाकर अभिभूत हूं – मामा नातुंग
महाकुम्भ नगर, 27 जनवरी (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश के गृहमंत्री मामा नातुंग ने संगम के पवित्र जल में दुबकी लगायी एवं अपने प्रदेश के लोगों के लिए सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वे गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानद देवतीर्थ के आदेश पर परिजनों एवं अधिकारियों के साथ महाकुंभ में आये हैं। यहां आकर वे अभिभूत हैं। महाकुंभ में दिव्य व्यवस्था के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति कृतज्ञ हैं।
गौरतलब है कि, अरुणाचल प्रदेश एवं पूर्वोत्तर के सभी राज्य गोवर्धन मठ पूरी के धार्मिक क्षेत्र के अधीन आते हैं और स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ इसके 145वें शंकराचार्य हैं। अरुणाचल प्रदेश के गृहमंत्री मामा नातुंग सोमवार को दिल्ली से प्रयागराज आये। उन्होंने पत्नी मानकी नातुंग, बेटी माम्पी नातुंग, पुत्र दोदुग नातुंग, भाजपा नेता नेजी टाकू, अरुणाचल भवन दिल्ली के डिप्टी रेजिडेंट कमिश्नर मार्थो वागरा एवं अन्य अधिकारियों के साथ संगम में आस्था की डुबकी लगायी।
इसके बाद कुंभनगर के सेक्टर 18 स्थित हर्षवर्धन मार्ग पर पूर्वोत्तर के शंकराचार्य शिविर में आकर आदि शंकराचार्य के चरण पादुका की पूजा अर्चना की और शंकराचार्य अधोक्षजानंद देवतीर्थ का आशीर्वाद प्राप्त किया। वहां से वे महायज्ञशाला में पहुंचे और अरुणाचल प्रदेश के लोगों के मंगल के लिए आहुति दी।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि, ‘वे 144 वर्ष के बाद लगने वाले महाकुम्भ में शामिल होकर अभिभूत हैं। यहां आकर उन्होंने सगम में डुबकी लगायी तथा शंकराचार्य एवं साधु-संतों का अशीर्वाद लिया। वे पहली बार यहां आये हैं।’
मामा नातुंग ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर के राज्यों का तेजी से विकास हुआ है। हवाई, सड़क एवं रेलवे परिवहन के क्षेत्र में क्रांति हुई है। सीमा सुरक्षा मजबूत हुई है। अरुणाचल प्रदेश की सीमाएं कई देशों की सीमाओं से लगती है। इसलिये प्रधानमंत्री ने प्राथमिकता के आधार पर यहां विकास कार्य करवाया है। बड़ी संख्या मे स्कूल-कालेज एवं अस्पतालों के भवन बने है। इतना विकास कार्य पहले कभी नहीं हुआ था। अब अरुणाचल प्रदेश का गांव अंतिम नहीं प्रथम है।’
उन्होंने आगे कहाकि, ‘गंगा, यमुना, कावेरी की तरह ही ब्रह्मपुत्र हमारे लिए पवित्र नदी है। हमारी उसमे सदियो से आस्था है। वह देश की सबसे बड़ी नदी है।’ शंकराचार्य शिविर में चल रहे महायज्ञ में भाग लेकर वे लोग दिल्ली वापस लौट गए।